साथ में अपने खुशियों की सौगात लाई है,
नन्ही सी परी आज तुम्हारे घर पर आई है।
एक मीठी सी मुस्कान हैं बेटी,
यह सच है कि मेहमान हैं बेटी,
उस घर की पहचान बनने चली
जिस घर से अनजान हैं बेटी।
बेटी होने का कर्ज चुकाया
अब बहू होने का फर्ज निभा रही है,
आज भी कहीं किसी कोने में वो
छुपकर अपने सारे ख़्वाब छुपा रही है।
वो शाख़ है न फूल अगर तितलियाँ न हो,
वो घर भी कोई घर है जहाँ बच्चियाँ न हो।
बेटों से ज्यादा बेटिया, रिश्तो की कदर करती है,
तभी तो दूर रहकर भी, वो अपने रिश्तो की फिकर करती है।
ख़ुश्बू बिखेरती फूल है बेटी,
इंद्रधनुष का सुंदर रूप है बेटी,
सुरों को सुंदर बनाने वाली साज है बेटी,
हकीकत में इस धरती का ताज है बेटी।
खिलती हुईं कलियां हैं बेटियां
मां-बाप का दर्द समझती हैं बेटियां,
घर को रोशन करती हैं बेटियां,
लड़के आज हैं तो आने वाला कल हैं बेटियां.
हैप्पी डॉटर्स डे!