संदेशखाली-पश्चिम बंगाल में ममता दीदी के गुंडों का नया अध्याय

नई दिल्ली. तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल का संदेशखाली इस समय सभी राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लिए इस समय अखाड़ा बना हुआ है. राज्य में सबसे ताकतवर राजनीतिक दलों टीएमसी और बीजेपी के बीच संदेशखाली मामले को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है.

आखिर क्या है संदेशखाली का मामला

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली के लोगों की खासकर आदिवासी महिलाओं की शोषण की कहानी लोगों को अंदर तक झकझोर देने के लिए काफी है.
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली गांव का पूरा मामला प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के बाद लोगों के बीच सामने आया है.दरअसल, 5 जनवरी 2024 को ईडी के अधिकारी संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां से पूछताछ करने के लिए पहुंचे थे. लेकिन ED अधिकारियों और CRPF जवानों पर इसी दौरान भीड़ ने हमला कर दिया.
जब ED ने छापेमारी की तो संदेशखाली की महिलाएं टीएमसी के स्थानीय नेता शेख शाहजहां द्वारा व्यवस्थित यौन उत्पीड़न, महिलाओं को बंधक बनाने के साथ यहां जारी अपराधिक घटनाओं के विरोध में सड़कों पर उतर आई. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के अशांत संदेशखाली के संगठित अपराध के बारे में शायद ही देश को कुछ पता चल पाता अगर 5 जनवरी को छापेमारी के लिए वहां ईडी की टीम नहीं पहुंचती.

आरोपों के घेरे में संदेशखाली के टीएमसी के नेता

संदेशखाली की महिलाओं ने वहां के टीएमसी नेता शेख शाहजहां और उनके समर्थकों पर यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने का आरोप लगाया. महिलाएं विरोध में प्रदर्शन करने और धरने देने लगीं. आक्रोशित महिलाओं ने शाहजहां के करीबी विश्वासपात्र और टीएमसी नेता शिबू हाजरा के खेत और पॉल्ट्री फॉर्म में आग भी लगा दी.आरोप है कि पॉल्ट्री फॉर्म गांव के लोगों की जमीन छीनकर उसपर अवैध तरीके से बनाया गया. ये कई तरह के अवैध कार्यों का सेंटर था.

क्यों ईडी ने की थी संदेशखाली में छापेमारी?

हजारों करोड़ रुपए के राशन घोटाले में ईडी के अधिकारी 5 जनवरी को पश्चिम बंगाल में 15 ठिकानों पर छापा मार रहे थे. एक टीम संदेशखाली गांव में शेख शाहजहां और शंकर अध्य के घर भी रेड डालने गई थी. ईडी की टीम पर टीएमसी समर्थकों ने जानलेवा हमला किया. तीन अधिकारी घायल हुए. शाहजहां फरार चल रहा है. उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी है.

ईडी की कार्रवाई के बाद महिलाओं ने शाहजहां के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आरोप लगाते हुए बताया कि कैसे गुंडे उनके बीच से अपनी पसंद की किसी भी महिला को उठा लेते हैं. टीएमसी नेता के द्वारा सुंदर दिखने वाली महिला को उठा लिया जाता और उसे पार्टी कार्यालय में लाया जाता था. इसके बाद नेता उसके साथ बारी-बारी से दुष्कर्म करते थे.

प्रदर्शन हिंसक हो गया तो प्रशासन की तरफ से यहां की इंटरनेट सेवाएं 10 फरवरी को बंद कर दी गई. धारा 144 लगा दी गई. स्थानीय केबल ऑपरेटरों को निर्देश दिया गया है वहां सेवाएं रोक दें. प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों पर टीएमसी के समर्थकों ने हमला किया. जब 12 फरवरी को राज्यपाल सीवी आनंद पहुंचे तो उनसे लोगों ने न्याय और तृणमूल कांग्रेस के गुंडों के खिलाफ सख्त सजा की मांग की.

संदेशखाली की घटना पर कोलकाता हाईकोर्ट ने लिया स्वत संज्ञान

12 फरवरी को पुलिस ने बताया कि महिलाओं के खिलाफ हुए अत्याचार की जांच के लिए 10 सदस्यीय टीम का गठन किया गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य महिला आयोग ने इस संबंध में एक रिपोर्ट सौंपी है. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

मामला इतना बढ़ा कि कलकत्ता हाईकोर्ट को इस मामले में स्वतः संज्ञान लेना पड़ा और जस्टिस अपूर्बा सिन्हा रॉय की एकल बेंच ने इस मामले पर ममता सरकार को स्पष्ट आदेश दिया कि संदेशखाली के बासिरहाट में लगी धारा 144 को हटाया जाए. कोर्ट का कहना है कि संदेशखाली में जो हो रहा है वह विचलित करने वाला है.पश्चिम बंगाल सरकार को इस मामले में नोटिस जारी करते हुए इसे 20 फरवरी को सुनवाई के लिए लिस्ट किया.

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भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने संदेशखाली घटना के विरोध में कोलकाता में लगातार तीन दिनों तक धरना कार्यक्रम आयोजित करने की भी योजना बनाई है। यह धरना कोलकाता में गांधी प्रतिमा के नीचे अगले मंगलवार 27 फरवरी से शुरु होकर गुरुवार 29 फरवरी तक लगातार तीन दिनों तक चलेगा। बताया जा रहा है कि धरना कार्यक्रम का नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी करेंगे। इसके बाद छह मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पश्चिम बंगाल दौरा होना है, जहां उनके मंच पर भी संदेशखाली के पीड़ितों को ले जाया जाएगा।

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