7 अक्टूबर को चरमपंथी संगठन हमास के हमले के साथ शुरू हुई Israel-Hamas War को एक महीना पूरा हो चुका है. इज़रायल के जवाबी आक्रमण से गाज़ा में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है. गाज़ा के आम लोग किन मुश्किल हालातों का सामना कर रहे हैं, उसका आंखों देखा हाल एक अमेरिकी नर्स ने सुनाया है.
Israel-Hamas War के बाद गाजा पट्टी में जले कटे अंगों के साथ भटक रहे बच्चे
एमिली कैली कैलाहन नाम की ये नर्स ‘डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ नाम के गैर-सरकारी संगठन के साथ काम करती हैं. उन्हें 1 नवंबर को गाज़ा से सुरक्षित निकाला गया. अमेरिका पहुंचकर उन्होंने CNN न्यूज को बताया कि गाज़ा के राहत शिविरों में बच्चों पर क्या बीत रही है. उनके मुताबिक हमले में घायल बच्चे अपने जले-कटे अंगों के साथ भटक रहे हैं. अस्पतालों में जगह नहीं है. घायल बच्चों को जिन कैंपों में भेजा गया है, वहां उचित व्यवस्था नहीं है.
एमिली ने CNN के न्यूज एंकर एंडरसन कूपर को बताया कि सुरक्षा के लिहाज से उन्हें और उनकी टीम को 26 दिनों में 5 बार एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया. उनमें से एक जगह दक्षिणी गाज़ा में स्थित खान यूनिस ट्रेनिंग सेंटर था. एमिली ने बताया कि वहां (जब एमिली ने वो जगह छोड़ी तब तक) लगभग 35 हजार विस्थापित लोग थे.
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बकौल एमिली वहां बच्चे थे, जिनके शरीर पर बुरी तरह जलने के घाव थे. बच्चों के चेहरे, गर्दन के नीचे और शरीर के दूसरे अंग बुरी तरह जले और कटे थे. बच्चे उसी हालत में कैंप में रहने को मजबूर थे. बच्चों के माता-पिता मदद की आस में उनकी टीम के पास आ रहे थे, लेकिन उन लोगों के पास दवाओं और ज़रूरी सामान की कोई सप्लाई नहीं थी.
घायल बच्चों को ऐसे कैंप में भेजा जा रहा, जहां पानी की उचित व्यवस्था नहीं है. एमिली ने बताया कि कैंप्स को हर 12 घंटे में सिर्फ 2 घंटे पानी दिया जा रहा है. खान यूनिस ट्रेनिंग सेंटर में प्रति व्यक्ति दो वर्ग मीटर से भी कम जगह है. एमिली के मुताबिक वहां सिर्फ चार टॉयलेट्स हैं.
Israel-Hamas War से बढ़ा स्वास्थ्य के लिए खतरा
यूनाइटेड नेशन्स रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी (UNRWA) के मुताबिक गाज़ा की 70 प्रतिशत आबादी राहत शिविरों में काफी दयनीय स्थिति में रह रही है. पानी और स्वच्छता के बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का खतरा बढ़ गया है.