क्या हमारे पूर्वजो के खून और पसीने से सीची हुई यह धरती एक बार फिर से बट जायेगी ?

जिस विचारधारा ने 1947 में मेरे हिंदुस्तान को लाखों हिंदुस्तानियो की लाशो और करोड़ो विस्थापित परिवारो व उनके विलखते बच्चों की भावनाओं पर हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बटने के लिए मजबूर किया था।15 अगस्त 1947 से पहले उस विचारधारा के तांडव को जिन आँखों ने साक्षात देखा था उनके सम्मिलित प्रयासों की वजह से वह विचारधारा धरती के गर्भ में काफी समय तक दबी हुई थी.
लेकिन सत्ता के नशे में मदहोश कुछ लोग हमारा हितैषी बन उस विचारधारा को धरती के गर्भ से बाहर निकाल चुके हैं और वह विचारधारा धीरे धीरे हम सबको (चाहे हम किसी धर्म से हो) ग्रसित करती चली जा रही हैं .
आज सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रनिक मीडिया तक इस विचारधारा को सही सिध्द करने वाले अपने मजबूत तर्क से आपको भी प्रभावित करने की कोशिश करते हुए मिलते होगे.


क्या हमारे पूर्वजो के खून और पसीने से सीची हुई यह धरती एक बार फिर से बट जायेगी या हम सब मिलकर इस विचारधारा को एक बार फिर से अपने पूर्वजो की तरह उसके उचित स्थान तक पहुंचाने का महान कार्य करेगे यह तय करने का समय आ चुका है.
अपने पूर्वजो के सपनो का भारत बनाने के लिए संघर्ष करता हुआ सोशल मीडिया का एक पत्रकार……………
जय हिंद जय भारत

क्या बनारस के कायाकल्प से उसका ठेठ बनारसीपन गायब हो रहा है?

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