दिवाली: उजाले का पर्व, आत्ममंथन का अवसर

दिवाली केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा का उत्सव है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय का प्रतीक है। जब संपूर्ण देश दीपों से जगमगाता है, तब केवल घरों में ही नहीं बल्कि हृदयों में भी आशा और आनंद का दीप जल उठता है।
आज के युग में जब जीवन की रफ्तार तेज़ हो गई है और मानवीय संबंधों में कृत्रिमता बढ़ रही है, दिवाली हमें ठहरकर अपने भीतर झाँकने का अवसर देती है। जिस प्रकार हम अपने घरों की सफाई कर उसे सजाते हैं, उसी प्रकार हमें अपने मन के अंधकार को भी दूर करना चाहिए—ईर्ष्या, घृणा, लालच और स्वार्थ के धूल-कणों को साफ़ कर सच्चाई, दया और करुणा के दीप जलाने चाहिए। यही दिवाली का असली संदेश है।
यह पर्व भारतीय परंपरा के सबसे प्राचीन और जीवंत प्रतीकों में से एक है। चाहे वह अयोध्या में राम के लौटने की कथा हो, लक्ष्मी पूजन की परंपरा हो या व्यवसायिक समुदायों का नया लेखा-जोखा शुरू करने का दिन—हर रूप में यह उत्सव नई शुरुआत का प्रतीक है। आज भी देश के कोने-कोने में लोग अपने घरों को दीपमालाओं से सजाकर, मिठाइयों से रिश्तों को मधुर बनाकर और उपहारों से प्रेम व्यक्त कर इस पर्व को मनाते हैं।
परंतु आधुनिकता के दौर में यह भी आवश्यक है कि हम इस उत्सव की भावना को उसके मूल स्वरूप में समझें। दिवाली का अर्थ केवल पटाखों की आवाज़ या दिखावे की रोशनी नहीं है, बल्कि भीतर की अंधकारमय प्रवृत्तियों को मिटाना है। पर्यावरण की दृष्टि से भी हमें इस पर्व को जिम्मेदारी से मनाना होगा—कम प्रदूषण, कम शोर और अधिक प्रकाश, अधिक प्रेम के साथ।
दिवाली हमें यह भी सिखाती है कि उजाला तभी सुंदर लगता है जब अंधकार समाप्त हो। अतः इस अवसर पर हमें अपने समाज के उन कोनों तक भी रोशनी पहुँचानी चाहिए जहाँ अब भी गरीबी, अज्ञानता और अन्याय का अंधकार पसरा है। किसी जरूरतमंद के घर दीप जलाना, किसी गरीब बच्चे को मिठाई देना या किसी अकेले व्यक्ति के जीवन में मुस्कान लाना—यही दिवाली की सच्ची पूजा है।
दिवाली केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का संदेश है। यह हमें याद दिलाती है कि जब तक हम सब एक साथ मिलकर अंधकार को दूर नहीं करेंगे, तब तक कोई भी दीपक पूर्ण नहीं जल सकता। इसलिए इस बार दिवाली केवल घर की नहीं, दिल की रोशनी से मनाएं—जहाँ हर भावना में प्रेम हो, हर चेहरे पर मुस्कान हो, और हर मन में एक नई शुरुआत की आशा हो।

GST बदलाव के बाद त्योहारों के सीजन में “Made in China Out” — भारतीय सामानों की धूम
