पूर्वांचल में लोकसभा चुनाव 24 में भाजपा हार की तरफ अग्रसर

पूर्वांचल – चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के रूझान मे भाजपा पिछड़ती हुई दिख रही है, केवल राजस्थान में ही भाजपा थोड़ी बहुत टक्कर देती हुई दिख रही है। मजबूत आर्थिक संसाधन, हाईटेक प्रचार और मोदी के दमदार नाम के बावजूद आज आज भाजपा का तिलस्म आखिर क्यों टूट रहा है।
आइये उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के वर्तमान भाजपा नेतृत्व, विपक्षियों की कार्य प्रणाली और वहां की सामाजिक स्थिति पर हमारी टीम द्वारा सर्वे के आधार पर तैयार रिपोर्ट का विष्लेषण कर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में परिणाम की चर्चा को आगे बढ़ाते हैं

पूर्वांचल का पिछड़ा जिला गाजीपुर

विकास के मामले में उत्तरप्रदेश का सबसे पिछड़ा जिला गाजीपुर जिसकी चर्चा जब हम आरम्भ कर रहे हैं तो संसद भवन में स्व विश्वनाथ गहमरी द्वारा इस जिले के ग़रीबी की व्यथा बताकर रोता हुआ वह चेहरा और संसद भवन के प्रागंण में गिरे हुए उन आंसुओं को हम कैसे भूल सकते हैं।

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2014 में प्रचंड मोदी लहर पर सवार मनोज सिन्हा जी गाजीपुर संसदीय चुनाव जीतकर जब पहली बार मोदी कैबिनेट में मंत्री बने तो उन्होंने इस जिले के हर क्षेत्र मे विकास के कार्यों को आरंभ करवाया जिसकी वजह से आज भी जिले की जनता सिन्हा जी को विकास पुरुष के नाम से जानती है। लेकिन विकास के कार्यों के आधार पर 2019 लोकसभा चुनाव में अपनी सुनिश्चित जीत के साथ उतरे हुए विकास पुरुष सिन्हा जी को अखिलेश यादव जी की साइकिल और बहन मायावती जी के हाथी पर सवार जिले के दिग्गज नेता अफजाल अंसारी द्वारा जब हराया गया तो वह हार उस समय सिन्हा जी की नहीं गाजीपुर की हार मानी गई थी। और उस हार की ठसक इस जिले की जनता को पिछले पांच साल से हैं।

गाजीपुर के दिग्गज कांग्रेसी नेता आनंद राय बने प्रदेश सचिव

आज भी जब इस जिले की जनता उन विकास के अवशेषों को देखती है तो अपने विकास पुरुष को 2024 में लाकर 2019 की गलतियों को सुधारना चाहती है।

विकास पुरुष की लोकसभा चुनाव 24 में जीत सम्भावना नगण्य

लेकिन अफसोस इस जिले के वर्तमान भाजपा के नेता जिन्हें जमीन से जुड़े हुए अपने कार्यकर्ताओं से मिलकर जिले के आम जनमानस से अपने आपको जोड़ना चाहिए था,वो अपने व्यक्तिगत कार्यों में लीन होकर गाजीपुर लोकसभा की सीट एकबार फिर से अखिलेश यादव जी की साइकिल को गाजीपुर में चलाने वाले अक्षम और निष्क्रिय नेताओं को गिफ्ट के तौर पर देने के लिए बेचैन नजर आ रहा है। अपने निष्कर्षों के आधार पर हमारा मानना है कि गाजीपुर में हाथी की सुस्त चाल की वजह से जिले के भाजपा नेतृत्व द्वारा दिऐ जा रहे गिफ्ट को लेने में सपा आगे नजर आ रही है।

पहली बार भाजपा के कार्यकर्ता भाजपा को हरायेंगे

कमोवेश पूर्वांचल की सभी लोकसभा सीटों का हाल गाजीपुर जिले की तरह ही नजर आ रहा है और ऐसा लग रहा है कि जिन कार्यकर्ताओं के दम पर पिछले दस सालों से भाजपा देश की सत्ता पर काबिज है उन कार्यकर्ताओं के नाम पर जिले का शीर्ष नेतृत्व बन कर बैठे हुए चापलूसो की वजह से पूरे पूर्वांचल में एकतरफा हार की तरफ बढ़ रहीं हैं।
अगर आप भाजपा के समर्थक हैं तो यह खबर आप को तकलीफ देगी या शायद आपको इस खबर पर विश्वास भी नहीं हो रहा होगा लेकिन यह आज की वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर सत्य है।
( यह लेख Politicianmirror के Editor in chief Devendra Singh द्वारा पूर्वांचल के आम जनता से बातचीत के आधार पर तैयार की गई )

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